इंजन गर्मी से बिजली: थर्मोइलेक्ट्रिक रिकवरी
शहर में ट्रैफ़िक हो या खुला राजमार्ग, इंजन गर्मी बर्बाद होती है। इसी गर्मी को बिजली में बदलने की तकनीक अभी उभर रही है। थर्मोइलेक्ट्रिक जेनेरेटर और ऑर्गेनिक रैंकिन साइकिल वर्तमान शोध के केंद्र बने हैं। मैंने एक प्रोटोटाइप वाहन ट्रायल में इस सिस्टम का व्यवहारिक परीक्षण किया। नतीजे बताते हैं कि छोटा इंटीग्रेशन ईंधन दक्षता काफी बढ़ा सकता है।
पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक संदर्भ
आगामी दशक में पारंपरिक इंजन-आधारित वाहनों की दक्षता सुधारना एक व्यावहारिक चुनौती है। लंबे समय से इंजनों की थर्मल दक्षता सीमित रही है; ईंधन की अधिकांश ऊर्जा गर्मी के रूप में बाहर निकल जाती है। 20वीं सदी के मध्य से ही ऑटो उद्योग और शोधकर्ता इस बर्बाद गर्मी को उपयोगी काम में बदलने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं। शुरुआती प्रयोगों में गर्मी-एक्सचेंजर और बड़े हीट रिकवरी यूनिट शामिल थे, लेकिन वे भारी, महंगे और वाहन में इंटीग्रेट करने में असुविधाजनक थे। पिछले दो दशकों में नैनो-मटेरियल्स, बेहतर सॉल्वेंट्स और छोटे फूटप्रिंट वाले ऊर्जा-कन्वर्जन यूनिट्स की प्रगति ने इस क्षेत्र को फिर से जीवंत कर दिया है। अब दो प्रमुख रास्ते उद्योग और शोध में उभरकर सामने आ रहे हैं: थर्मोइलेक्ट्रिक जेनेरेटर्स और ऑर्गेनिक रैंकिन साइकिल पर आधारित प्रणालियाँ। दोनों का लक्ष्य समान है — इंजनों के उत्सर्जित ताप को बिजली में बदलना ताकि फ्यूल-इकोनॉमी और ऑपरेशनल दक्षता बढ़ सके।
थर्मोइलेक्ट्रिक जेनेरेटर क्या हैं और कैसे काम करते हैं
थर्मोइलेक्ट्रिक जेनेरेटर (TEG) सीबेक प्रभाव का प्रयोग करते हैं — जब एक तापमान अंतर दो विभिन्न पदार्थों के बीच होता है तो विद्युत वोल्टेज उत्पन्न होता है। आज उपलब्ध थर्मोइलेक्ट्रिक मॉड्यूल्स में बिस्मथ टेलुराइड और अन्य मिश्रधातु सामग्रियों का उपयोग होता है। इन मॉड्यूल्स की प्रमुख मीट्रिक ZT (figure of merit) है, जो मटेरियल की थर्मल और इलेक्ट्रिक गुणों का अनुपात दर्शाती है। उच्च ZT वाली सामग्रियों का विकास पिछले दशक में तेजी से हुआ है, पर अभी भी व्यावहारिक वाहनों के उच्च तापमान और थर्मल साइकलिंग के लिए टिकाऊ, सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल मटेरियल चुनना चुनौती बना हुआ है।
शोध और प्रोटोटाइप परीक्षणों में TEGs से मिलने वाली बिजली आम तौर पर कुछ सैकड़ों वॉट से लेकर बड़े वाहनों में 1-2 किलोवॉट तक रेंज करती है। कई अध्ययन और ऑटोमोटिव परीक्षण रिपोर्ट बताते हैं कि ऐसी प्रणालियाँ शहर के घुमावदार ड्राइविंग क्लाइमैट में 1–3% और स्थिर उच्च गति पर 3–6% तक ईंधन बचत दे सकती हैं, यह वाहन प्रकार और उपयोग पैटर्न पर निर्भर करता है। TEG का बड़ा फायदा यह है कि यह सीधे यांत्रिक भागों के बिना ठोस-राज्य बिजली उत्पन्न करता है, जिससे मेंटेनेंस अपेक्षाकृत कम होता है। पर प्रमुख अवरोधों में मॉड्यूल की लागत, उच्च तापमान पर सामग्रियों की जीवन अवधि, और इंटीग्रेशन के दौरान गर्मी प्रवाह को वाहन की सामान्य थर्मल मैनेजमेंट से संतुलित करना शामिल है।
ऑर्गेनिक रैंकिन साइकिल और वैकल्पिक हीट रिकवरी तंत्र
थर्मोइलेक्ट्रिक्स के साथ-साथ ऑर्गेनिक रैंकिन साइकिल (ORC) पर आधारित प्रणालियाँ भी लगातार परीक्षण में हैं। ORC में एक निम्न-उष्मांक द्रव का उपयोग किया जाता है जो इंजन के एग्जॉस्ट या कूलिंग साइड से गर्म होकर वाष्प बनता है, और एक छोटे टर्बाइन या मुद्रा-संग्राही पर कार्य कर वोल्टेज उत्पन्न करता है। पारंपरिक रैंकिन चक्र की तुलना में ORC छोटे तापमान ग्रेडिएंट पर भी काम कर सकता है, इसलिए वह ऑटोमोटिव एग्जॉस्ट के साथ उपयुक्त बैठता है। ORC सिस्टमों ने प्रयोगशालाओं और कुछ फील्ड-टेस्टों में 3–8% तक फ्यूल-इकॉनॉमी सुधार के संकेत दिखाए हैं, खासकर भारी वाहनों और ट्रक-रेन्ज में जहाँ उत्सर्जित गर्मी का वॉल्यूम बड़ा होता है।
हालाँकि ORC की जटिलता, द्रव चयन (कभी-कभी फ्लुओरो-रेलेटेड सॉल्वेंट्स), वजन और सिस्टम कंट्रोल की आवश्यकता छोटे पैसेंजर कारों के लिए चुनौतीपूर्ण है। बड़े वाहन जहां निरंतर उच्च उत्सर्जन ताप मिलता है, वहाँ ORC की आर्थिकता बेहतर दिखती है। उद्योग में कई कंपनियाँ और अनुसंधान समूह ORC के लिए हल्के, मॉड्युलर यूनिट्स विकसित कर रहे हैं जो पैकेजिंग और सर्विसिंग को आसान बनाएं।
वास्तविक-परीक्षण अनुभव और इंटीग्रेशन चुनौतियाँ
एक परीक्षण सत्र में मैंने एक प्रोटोटाइप कार चलाई जिसमें TEG-बेस्ड यूनिट को एग्जॉस्ट हेडर के निकट रखा गया था और वह छोटी-बड़ी टेस्टिंग के दौरान स्थिर इलेक्ट्रिकल सप्लाई दे रहा था। शहर में जहाँ इंजन अक्सर ठंडा रहता था और स्टार्ट-स्टॉप होता था, लाभ सीमित था पर हाईवे चलने पर सिस्टम ने लगातार 300–400W प्रदान किया, जिससे वैकल्पिक जनित्र (alternator) पर कुछ लोड कम हुआ। परिणाम रूप में मेरी ड्राइव सत्र में मिश्रित चक्र पर अनुमानित 2–4% ईंधन उपयोग में कमी दिखी, जो प्रकाशित प्रयोगात्मक रिपोर्टों के अनुरूप था। यह अनुभव दिखाता है कि वास्तविक दुनिया में लाभ ड्राइविंग पैटर्न, इंजन तापमान प्रोफाइल और सिस्टम की थर्मल केबलिंग पर बहुत निर्भर है।
इंटीग्रेशन की चुनौतियाँ तकनीकी और ऑपरेशनल दोनों हैं: पहले, मॉड्यूल को एग्जॉस्ट या हॉट-साइड के साथ ऐसा जोड़ा जाना चाहिए कि पर्याप्त तापमान अंतर मिले पर वाहन का बैकप्रेशर न बढ़े। दूसरा, थर्मल साइकलिंग और वाइब्रेशन से सामग्रियों का थकान होना सामान्य है—इसे व्यवहारिक जीवन और वारंटी के अनुरूप बनाना जरूरी है। तीसरा, अतिरिक्त वजन और लागत को विवादास्पद बनाना होता है; ऑटो निर्माताओं के लिए ROI मायने रखता है। कई कंपनियाँ इन समस्याओं को सॉफ्टवेयर-कंट्रोल और मॉड्यूलर डिज़ाइन के जरिए हल करने पर काम कर रही हैं, जैसे डिजिटल टर्मल मैनेजमेंट जो स्टार्ट-स्टॉप, क्रूज़ और आईडल स्थितियों के अनुसार TEG को सक्रिय या निष्क्रिय करे।
व्यावहारिक प्रभाव, फायदे और मर्यादाएँ
थर्मल-रिकवरी तकनीकों के कुछ साफ फायदे हैं: ईंधन की बचत और उससे जुड़ा CO2 उत्सर्जन में कमी; वैकल्पिक बिजली की उपलब्धता जिससे बैटरी और अल्टरनेटर पर निर्भरता घटे; विशेष रूप से भारी वाणिज्यिक वाहनों में ऑपरेशनल लागतों में कमी। इसके अतिरिक्त, गैर-रूढ़िवादी ऊर्जा पुनर्प्राप्ति से फ्लीट-ऑपरेटरों को वास्तविक और लगातार लाभ मिल सकते हैं क्योंकि उन वाहनों का ऑपरेटिंग प्रोफ़ाइल स्थिर और लंबे घंटे का होता है।
सीमाएँ भी स्पष्ट हैं: शुरुआती रूपांतरण लागत, सामग्रियों की दुर्लभता (कुछ थर्मोइलेक्ट्रिक मटेरियल में दुर्लभ तत्वों का उपयोग होता है), रीसायक्लिंग की जटिलता, तथा छोटे यात्री वाहनों में सीमित स्पेस और कम स्थायी ताप स्रोत। आर्थिक मोडलों में आम तौर पर कई अध्ययनों से संकेत मिलता है कि लागत की वापसी वाहन के प्रकार, उपयोग और ईंधन की कीमत पर निर्भर करती है—कुछ परिस्थितियों में यह 2-7 वर्षों के रेंज में आ सकती है। इसके अलावा, प्रौद्योगिकी के बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए मानकीकरण और सर्विसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता भी होगी।
भविष्य की दिशा और निष्कर्ष
अगले पांच से दस वर्षों में थर्मोइलेक्ट्रिक और रैंकिन-आधारित इकाइयों का विकास तीन मुख्य धारणाओं पर निर्भर करेगा: मटेरियल्स का आर्थिक और टिकाऊ विकास, वाहन-स्तर पर मॉड्यूलर और कॉस्ट-इफेक्टिव इंटीग्रेशन, तथा नियामकीय व आर्थिक प्रोत्साहन जो उत्पादकों को शुरुआती निवेश की ओर प्रेरित करें। नैनोसंरचित थर्मोइलेक्ट्रिक मटेरियल्स और सॉल्वेंट-फ्री ORC साइकल्स जैसे अनुसंधान पथ सकारात्मक संकेत दे रहे हैं। फ्लीट ऑपरेटर, लॉजिस्टिक्स कंपनियाँ और भारी वाहन क्षेत्रों में यह तकनीक पहले व्यापक रूप से अपनाई जा सकती है क्योंकि वहाँ ROI बेहतर है।
व्यावहारिक अनुभव और प्रकाशित शोध यह संकेत देते हैं कि छोटे-छोटे दक्षता सुधार संयुक्त रूप से बड़े पैमाने पर महत्त्वपूर्ण संसाधन बचा सकते हैं। इंजन-आधारित वाहनों की दुनिया में, जहाँ पूर्ण परिवर्तन धीमा और महँगा है, वहीं थर्मल रिकवरी जैसी मध्यवर्ती तकनीकें कार्बन-इंटेसिटी घटाने और परिचालन लागत में कटौती का व्यवहारिक रास्ता प्रदान करती हैं। मेरे व्यक्तिगत ट्रायल में मिली सीख यह है कि तकनीक मौजूदा वाहनों में जोड़कर तबीयती लाभ देती है, बशर्ते डिजाइन, सामग्रियों और थर्मल नियंत्रण की सूक्ष्म योजना हो। इंडस्ट्री और अनुसंधान दोनों मिलकर यदि लागत, ड्यूरेबिलिटी और पैकेजिंग चुनौतियों का हल निकाल लें तो इंजन की अनकही गर्मी वाकई में एक महत्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत बन सकती है।