बैटरी‑रहित स्मार्ट डिवाइस की नई राह
छोटी रेडियो तरंगें और सेंसिंग ट्रिक्स मिलकर ऐसी डिवाइस बना रही हैं जो बैटरी के बिना भी काम कर सकती हैं। यह नयी दिशा इंटरनेट ऑफ थिंग्स को सस्ता और टिकाऊ बना सकती है। शोधकर्ता परिवेशीय बैकस्कैटर और वेक-अप रेडियो को जोड़ रहे हैं। यहाँ हम इतिहास, हाल की उपलब्धियाँ और बाजार पर असर देखेंगे। विस्तार से समझेंगे, अनुमान लगाएंगे।
इतिहास: RFID से वर्तमान तक एक धीमी परिभ्रमण यात्रा
बैटरी‑रहित संचार और सेंसिंग की जड़ें RFID और पासिव ट्रांजिस्टर तकनीकों में मिलती हैं। 20वीं सदी के उत्तरार्ध में पहचान और ट्रैकिंग के लिए विकसित हुए RFID टैग ने दिखाया कि कैसे एक रिमोट फीडर से ऊर्जा ले कर सिग्नल रिफ्लेक्ट किया जा सकता है। अगले चरण में शोधकर्ता और इंजीनियरों ने इस कॉन्सेप्ट को सशक्त बनाया और 2010 के दशक में परिवेशीय (ambient) बैकस्कैटर का प्रयोग दिखाई दिया, जिसमें रेडियो, टीवी या Wi‑Fi जैसी मौजूद सिग्नलों को री‑यूज़ कर डिवाइस संदेश भेजते हैं। साथ ही वेक‑अप रेडियो (wake‑up receivers) का विकास हुआ, जिनका उद्देश्य मुख्य रेडियो को सोते रहने देना और केवल तभी सक्रिय करना है जब किसी संदेश का संकेत मिले। इन दोनों विचारों का संयोजन अब बैटरी‑रहित या अल्ट्रा‑लो‑पावर IoT डिवाइसों की दिशा में एक व्यवहार्य रास्ता दिखा रहा है।
तकनीक कैसे काम करती है: बैकस्कैटर और वेक‑अप रेडियो का संयोजन
परिवेशीय बैकस्कैटर बेसिकली दो चीजें करता है: यह उपलब्ध रेडियो ऊर्जा को मॉड्यूलेट करके पार्श्व रेडियो स्रोत के सिग्नल को बदल देता है और रिसीवर इस छोटे बदलाव को पढ़ कर डेटा निकालता है। वेक‑अप रेडियो एक बेहद कम‑शक्ति का रिसीवर होता है, जो लगातार सक्रिय रह कर किसी खास प्री‑एग्रीड पैटर्न या संकेत की तलाश करता है, पर वह इतना कम ऊर्जा उपयोग करता है कि उसे बैटरी की आवश्यकता न्यूनतम रहती है या कुछ मामलों में नहीं रहती। जब वेक‑अप यूनिट किसी वैध संकेत का पता लगाती है, वह मुख्य कम्युनिकेशन मॉड्यूल को जगा देती है ताकि उच्च‑बैंडविड्थ ओपरेशन हो सके। दोनो तकनीकों का मेल डिवाइस को आम परिस्थितियों में लगभग पाव‑लेवल पावर पर रखने और केवल जरूरी समय पर हाई‑पावर मोड में जाने की सुविधा देता है।
हाल की खबरें और प्रगति (2023–2025)
पिछले कुछ वर्षों में शैक्षिक और औद्योगिक शोध ने दोनों तकनीकों की सीमा बढ़ाई है। कई रिसर्च ग्रुप्स ने दिखाया कि परिवेशीय सिग्नलों से डेटा रेट में सुधार और विश्वसनीयता दोनों संभव हैं, जबकि कुछ प्रयोगों ने माइक्रोवाट स्तर की पावर पर वेक‑अप रिसीवर की सफलता दिखाई है। औद्योगिक पक्ष पर, कई सेमीकंडक्टर कंपनियाँ और स्टार्ट‑अप्स अल्ट्रा‑लो‑पावर रेडियो IP को उत्पाद रूप में पैकेज कर रहे हैं, और बाज़ार में डेवलपर किट और मॉड्यूल आने लगे हैं। 2024–2025 में प्रदर्शनों और प्रोटोटाइप में सौर, थर्मल और RF‑हर्वेस्टिंग संयोजन को आम देखा गया, जिससे पूरी तरह बैटरी‑रहित सेंसर नोड वास्तविकता के और करीब आए हैं। साथ ही, मानक समितियों में इन तकनीकों के इंटरऑपरेबिलिटी और सिग्नलिंग प्रोटोकॉल पर चर्चा तेज हुई है ताकि बड़े पैमाने पर तैनाती आसान हो सके।
बाजार, कीमतें और व्यावसायिक प्रभाव
यदि यह तकनीक वृहद स्तर पर अपनाई जाती है तो लागत और पर्यावरणीय प्रभाव दोनों प्रभावित होंगे। मौजूदा मॉड्यूल जो बैकस्कैटर या वेक‑अप फंक्शनलिटी देते हैं, उनकी अनुमानित कीमत प्रति यूनिट $1 से $20 के बीच हो सकती है, यह निर्भर करता है कि वह सिर्फ एक छोटा मॉड्यूल है या इसमें सेंसर्स और एनालॉग फ्रंट‑एंड भी शामिल हैं। शुरुआती व्यावसायिक उत्पादों — जैसे स्मार्ट टैग, कृषि सेंसर, स्टोरेज‑लॉकेशन ट्रैकर — का रिटेल स्पेक्ट्रम आमतौर पर $5–$50 रहेगा, जिससे सस्ते कंस्यूमर‑ग्रेड बाजार में प्रवेश सम्भव होगा। अर्थव्यवस्था का बड़ा फायदा बैटरी‑चेंज और बैटरी‑वेस्ट में कमी से आएगा; लॉजिस्टिक्स, पैकेजिंग, घरेलू निगरानी और स्मार्ट सिटी सेंसर जैसे वर्गों में यह टेक्नोलॉजी ऑपरेशन लागत घटाकर बड़े पैमाने पर ROI दे सकती है। बाजार अनुसंधान से संकेत मिलता है कि अल्ट्रा‑लो‑पावर IoT मॉड्यूल में मांग अगले पाँच वर्षों में तेजी से बढ़ सकती है क्योंकि स्मार्ट डिवाइसों की संख्या और उनकी जीवन‑काल लागत संबंधी संवेदनशीलता बढ़ती जा रही है।
चुनौतियाँ और सुरक्षा‑प्रश्न
इन प्रौद्योगिकियों का व्यापक उपयोग चुनौतियों से मुक्त नहीं है। सबसे बड़ी तकनीकी बाधा स्थिर और विश्वसनीय डेटा ट्रांसमिशन सुनिश्चित करना है जब स्रोत सिग्नल स्वयं परिवेश‑निर्भर और अस्थिर हो। इंटरफेरेंस और मल्टी‑पाथ प्रभावों से बैकस्कैटर पर निर्भरता कमजोर हो सकती है। पावर‑हर्वेस्टिंग की सीमाएँ और पर्यावरणीय शर्तें (कम रोशनी, कम तापमान) कार्यक्षमता घटा सकती हैं। सुरक्षा की दृष्टि से, बैकस्कैटर पर आधारित संचार ईवेसड्रॉपिंग या मैलिशियस टैम्परिंग के प्रति संवेदनशील हो सकता है क्योंकि संकेत सरल मॉड्यूलेशन द्वारा अभिव्यक्त होते हैं; इसलिए एन्क्रिप्शन और ऑथेंटिकेशन के हल ढूँढना जरूरी है। साथ ही रेगुलेटरी मुद्दे भी सामने आ सकते हैं—परिवेशीय सिग्नलों के हिसाब से स्पेक्ट्रम उपयोग और हस्तक्षेप को नियंत्रित करने वाले नियमों का पालन आवश्यक होगा।
भविष्य: कहाँ तक जा सकता है यह दिशा
अगले कुछ वर्षों में हम हाइब्रिड समाधान देखेंगे जिनमें बैटरी‑लेस नोड्स कम लागत वाले निगरानी, ट्रैकिंग और कंज़म्प्शन कम करने वाले अनुप्रयोगों में विस्तृत होंगे। उद्योग मानकीकरण और सस्ता हार्डवेयर इसे बड़े पैमाने पर अपनाने लायक बनाएंगे। बेहतर पावर मैनेजमेंट, मल्टी‑सोर्स एनर्जी‑हर्वेस्टिंग और एडवांस्ड सिग्नल प्रोसेसिंग से रिसीवर‑साइड विश्वसनीयता सुधरेगी। अंततः, यदि सुरक्षा और रेगुलेटरी मुद्दे संभाले गए तो यह तकनीक स्मार्ट इन्वेंट्री, पोस्ट‑कंस्यूमर रीसायक्लिंग, वैराइटी ऑफ एग्री‑सेंसर, और स्मार्ट पैकेजिंग के लिए गेम‑चेंजर बन सकती है—जहाँ लाखों सेंसर्स बिना रिचार्ज की झंझट के काम करें। यह कहना अनुचित नहीं होगा कि बैटरी‑रहित IoT एक चरणिक बदलाव ला सकता है, खासकर उन स्थानों पर जहाँ बैटरी बदलना या रीसायक्लिंग करना मुश्किल या महंगा है।
निष्कर्ष रूप में, परिवेशीय बैकस्कैटर और वेक‑अप रेडियो का मेल एक व्यावहारिक और आकर्षक रास्ता दिखाता है ताकि IoT उपकरण और सेंसर छोटे, सस्ते और अधिक टिकाऊ बन सकें। चुनौतियाँ रहेंगी पर हालिया शोध और उद्योग की रुचि यह दर्शाती है कि अगले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में ठोस वाणिज्यिक उत्पाद और बड़े पैमाने पर तैनाती देखने को मिल सकती है।